Inspirational poems
Milka sapno ki khatir
वो बस जीतना चाहते थे
रुकना उन्हें नागवार जो था
मंजिल भी उनका
इंतज़ार कर रही थी
उनका वक़्त घोड़े पर सवार जो था
पांच नदियों के संगम से
जो कहलाया पंजाब
मिल्खा को भी था उस
माँ से प्यार बेहिसाब
लोगों के सपनो के पंख हैं लगते
और मिल्खा सपनो की खातिर
दिन रात थे बस दोड़ते
स्वर्णिम एहसास हमें कराया था
उन्ही की बदौलत जब खेल के मैदान में
तिरंगा हमारा लहराया था
स्वर्ण पदक उनके सीने का
जज्बा देता है ना जाने
कितनो को जीने का